नागरिकता संशोधन बिल क्या है,CAB क्या है,विरोध क्यों,CAA क्या है
देश के पड़ोसी देशों में धार्मिक रूप से प्रताड़ना झेल रहे गैर मुस्लिमों को भारत की नागरिकता देने वाला नागरिकता संशोधन बिल माननीय गृह मंत्री अमित शाह जी ने लोकसभा में पेश किया।
बिल के विरोध में खड़े लोगों की बातों का खंडन करते हुए जो इसे मुस्लिम विरोधी बता रहे थे उनको मुंहतोड़ जवाब दिया। उन्होंने बताया कि बिल से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान की प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को अधिकार मिलेंगे।
बिल भेदभाव नहीं करता है यहां बिल किसी भी प्रकार से 0.01 फ़ीसदी मुस्लिम विरोधी नहीं है। यहां सिर्फ देश के अंदर घुस रहे घुसपैठियों के खिलाफ है उन्होंने संसद में यह भी कहा कि विपक्ष अगर हमें गलत साबित कर दें तो हम बिल को वापस ले लेंगे।
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यह पर धर्म और पंथ के आधार पर किसी के साथ दुर्व्यवहार नहीं होना चाहिए किसी भी देश की सरकार का यह कर्तव्य होता है कि वह देश की सीमाओं की रक्षा करें।
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आगे उन्होंने कहा कि क्या –
देश सभी के लिए खुला छोड़ देना चाहिए
ऐसा कौन सा देश है। जहां पर बाहरी लोगों को नागरिकता देने के लिए कानून नहीं बनाया गया है। Madame curie love life उनका प्यार भरा जीवन
अमित शाह जी ने कहा है कि हमें शरणार्थियों एवं देश के दुश्मन घुसपैठियों के बीच में अंतर करना होगा । त्वचा के रंग को निखारने Pineapple इन विधियों के साथ सेवन करे
पड़ोसी देश मैं अत्याचार एवं उत्पीड़न झेल कर आने वाले शरणार्थियों को राशन कार्ड सहित बिना कोई दस्तावेज देखें नागरिकता दी जाएगी।
नागरिकता संशोधन बिल किसी भी प्रकार से संविधान का उल्लंघन नहीं करता है यह पूर्ण रूप से धर्मनिरपेक्ष भावना को समाहित किए हुए हैं। यहां बिल संविधान के सभी खंडों का पालन करता है।
नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (Citizenship (Amendment) Act,2019)
भारत की संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है, जिसके द्वारा सन 1955 की नागरिकता कानून को संशोधित करके यह व्यवस्था की गई कि 31 दिसंबर सन 2014 के पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से आए शरणार्थी जैसे हिंदू, जैन, बौद्ध, पारसी एवं ईसाई को भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी।
इस विधेयक में भारतीय नागरिकता प्रदान करने के लिए अभी तक 11 वर्ष भारत में रहने की शर्त थी। उसके बाद नागरिकता दी जाती थी, Warren Buffett ने मार्केट से इन 2 किलर तरीको से कमाया ढेर सारा धन
लेकिन इस अधिनियम के आने के बाद केवल 5 वर्ष की शर्त में बदल दिया गया है।
मौजूदा कानून के आने के बाद भारत देश में किसी भी प्रकार के अवैध तरीके से दाखिल होने पर नागरिक को वापस उसके देश भेजने या हिरासत में रखने के प्रावधान इस बिल में किए गए हैं।
लोकसभा में पारित करने की तिथि
भारतीय नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 लोकसभा में
10 दिसंबर 2019 को पारित किया गया।
इस बिल के पारित होते ही उन हजारों शरणार्थियों के मन में एक आस जागी जो भारत देश के पड़ोसी देशों में अपने एवं अपने परिवार के प्रति अत्याचार सहन कर भारत देश में शरण लेने के लिए आए थे की,
हमें भी भारत देश की नागरिकता मिल जाएगी।
उसी कदम को आगे बढ़ाते हुए
मोदी सरकार के द्वारा
यह बिल लाने से उनके मन में एक उम्मीद की रोशनी जागी की हम भी
भारत देश के स्थाई निवासियों की गिनती में आने लगेंगे।
राज्यसभा में पारित करने की तिथि
नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 राज्यसभा में ऐतिहासिक तारीख 11 दिसंबर 2019 को पेश किया गया,
उसी दिन पारित भी कर दिया गया।
बिल के पास होते ही उन मुरझाए हुए चेहरों के ऊपर मुस्कान दिखाई देने लगी जो काफी लंबे अरसे
से इस बिल को पारित करवाना चाहते थे।
वह लोग हैं, भारत देश के हजारों शरणार्थी
पड़ोसी देशों में अपने ऊपर हुए अत्याचारों को सहन न कर पाने के बाद भारत देश के अंदर शरण लेने के लिए आए थे।
उनको इस कानून से नागरिकता मिल जाएगी।
भारतीय नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 किसके द्वारा पारित किया गया
भारतीय नागरिकता संशोधन अधिनियम CAB भारत देश के
गृहमंत्री माननीय अमित शाह जी
द्वारा पेश किया गया था और
राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा गया।
भारतीय नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 पारित करने से पहले सरकार की तैयारी –
भारतीय गृह मंत्री अमित शाह जी द्वारा
भारतीय नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 को
संसद में रखने से पहले पार्टी की तरफ से सभी सांसदों को सदन में उपस्थित रहने के लिए एडवाइजरी जारी की गई थी। Sandeep Maheshwari की सफलता का राज
https://en.wikipedia.org/wiki/Citizenship_(Amendment)_Act,_2019
नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 को लेकर विवाद क्यों-
बिल का विरोध कर रहे विपक्षी दल का कहना है कि
यह विधेयक मुसलमानों के खिलाफ है। साथ ही
भारतीय संविधान अनुच्छेद – 14 जो की समानता का अधिकार देती हैं उसका भी उल्लंघन करता है।
भेदभाव करने का एक आधार यह भी बताया गया है कि
भारत देश धर्म निरपेक्ष देश है यहां पर धर्म के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता
पूर्वोत्तर राज्यों में बिल का विरोध जोर शोर से किया जा रहा है।
जिसमें असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश, प्रमुखता से इसका विरोध कर रहे हैं।
क्योंकि यह राज्य बांग्लादेश की सीमा के बेहद नजदीकी है।
भारतीय नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के मुख्य तथ्य-
नागरिक संशोधन विधेयक कानून का रूप लेने से
अफगानिस्तान, पाकिस्तान बांग्लादेश
में धार्मिक रूप से उत्पीड़न झेल रहे हैं और भाग कर आने वाले हिंदू, सिख, ईसाई, पारसी, जैन और बोध धर्म को मानने वाले लोगों को
इस अधिनियम के तहत नागरिकता प्रदान की जाएगी।
भारतीय नागरिकता के लिए सरकार के पास आवेदन वे नागरिक कर सकते हैं,
जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में प्रवेश कर गए थे उनको भारतीय नागरिकता दी जाएगी।
नए कानून के तहत 5 साल भी भारत में निवास कर गए तो,
उन्हें भारतीय नागरिकता दी जा सकती है।
पहले यहां नागरिकता प्राप्त करने के लिए कम से कम 11 साल की अवधि निर्धारित की गई थी।
OCI कार्ड धारक –
OCI कार्ड धारक यदि किसी शर्त उल्लंघन कर जाते हैं
तो उनका कार्ड रद्द करने का अधिकार सिर्फ सेंट्रल गवर्नमेंट के पास ही रहेगा,
लेकिन उन्हें इस मामले में सुना भी जा सकता है।
इस कानून में यहां भी व्यवस्था की गई की इन नागरिकों के विस्थापन या देश में अवैध निवास को लेकर चल रही किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई स्थाई नागरिकता के लिए है।
वहां इनके पात्रता को प्रभावित नहीं कर सकेगी।
मतलब की ऐसे नागरिक भी अपनी नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं।
नागरिकता संशोधन अधिनियम आने के बाद जो विरोध के सुर आ रहे हैं उसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि
पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से आने वाले मुसलमानों को भारत की नागरिकता नहीं दी जाएगी।
इसमें प्रमुख रूप से कांग्रेस समेत कई छोटी बड़ी पार्टियां इस विधेयक का विरोध कर रही है।
विधेयक का पूर्वोत्तर राज्यों में विरोध इसलिए किया जा रहा है।
कुछ सालों में बांग्लादेश से आए हिंदुओं को नागरिकता प्रदान की जाएगी।
भारत के मुसलमान भारतीय नागरिक थे, है और बने रहेंगे यहां –
माननीय गृह मंत्री अमित शाह जी ने
संसद के अंदर कही थी।
उन्होंने कहा था कि मुसलमानों को डरने की आवश्यकता नहीं है।
भारत के पडोसी तीनों देशों में अल्पसंख्यक की आबादी में खासी कमी आई है।
शाह ने बताया कि उत्पीड़न का शिकार हुए अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान हमने इस विधेयक में किया है।
उन्होंने इस विधेयक के सविधान विरोधी होने के आरोपों को खरिज करते हुए कहा है, कि संविधान ने स्वयं संसद को इस प्रकार के कानून बनाने के अधिकार दिए।
मुस्लिमों को चिंता करने की आवश्यकता नहीं है वह भारत के नागरिक है।
भारतीय नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 को मिली राष्ट्रपति महामहिम रामनाथ गोविंद जी की मंजूरी –
भारत के राष्ट्रपति महामहिम रामनाथ कोविंद जी ने नागरिकता संशोधन विधेयक को अपनी मंजूरी देते ही इसने कानून का रूप धारण कर लिया।
देश के राजपत्र में प्रकाशित होने के साथ ही देश में यहां कानून लागू हो जाएगा।
यहां कानून परिभाषित करेगा कि
https://successkunji.com/370-2/
हिंदू, सिख, बौद्ध ,जैन ,पारसी और इसाई धर्म के लोग
जो 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हैं। जिन्हें इनके देश में धार्मिक उत्पीड़न को झेलना पड़ा।
लेकिन भारत देश में इन्हें किसी प्रकार से गैरकानूनी नागरिक नहीं माना जाएगा, बल्कि इनको भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी।