Madame curie biography in hindi love life उनका प्यार भरा जीवन ,wikipead

Madame curie biography in hindi love life उनका प्यार भरा जीवन ,wikipead

सदी की सबसे प्रसिद्ध महिला Madame curie जो पैसे से वैज्ञानिक थी । जिन्हें Radium की खोज के लिए जाना जाता है। रशियन महिला थी। जिनका जन्म पोलैंड की राजधानी वारसा में हुआ था। मैडम क्यूरी का वास्तविक नाम मारिया स्कोलोडोवस्का था। लेकिन उनके माता-पिता एवं उनके परिवार वाले प्यार से उन्हें मान्या कहकर बुलाते थे।

उनके जो माता-पिता थे वह स्कूल शिक्षक थे। इनके पिता प्रोफेसर थे, जो मैथ्स और फिजिक्स बच्चों को पढ़ाते थे।

देशभक्ति की विचारधारा होने के कारण उन्होंने कई बार सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाई जिसकेे कारण हमेशा उन्हें इसकी सजा मिलती थी।

लेकिन फिर भी उन्होंनेे देशभक्ति कम नहीं होने दी और इनकी माता गर्ल्स स्कूल की प्रिंसिपल थी। डॉ विवेक बिंद्रा की सफलता का राज

मैडम क्यूरी अपने घर में पांच बहन भाइयों में सबसे छोटी थी।

शिक्षित परिवार में जन्म लेने के कारण मैडम क्यूरी बचपन से ही पढ़ाई में बहुत तेज थी।

छोटी उम्र में ही उन्होंने कई बार अपनी प्रतिभाओं से अपने माता पिता को सोचने पर मजबूर कर दिया था ।

वह कहते थे, कि यहां लड़की बड़ी होकर हमारा और हमारे देश का नाम रोशन करेगी।

मैडम क्यूरी ने किया भी ऐसा ही उन्होंने अपने मायका के और अपने ससुराल दोनों का नाम रोशन किया

इनका दिमाग बचपन से बहुत तेज था।

इनकी पढ़ने में बहुत रुचि थी घंटों तक पढ़ाई करती थी।

इसी नक्शे कदम पर चलते हुए Madame curie ने विज्ञान क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियों को हासिल।

  • मैडम क्यूरी के पति का नाम पियरे क्यूरी था
  • मैडम क्यूरी के पिता का नाम बौनस्लवा स्कोलोडोवस्का था
  • मैडम क्यूरी की माता का नाम वदिस्वा स्कोलोडोवस्का था

1. Madame curie का परिचय

  • नाम मैडम क्यूरी
  • माता का नाम बौनस्लवा स्कोलोडोवस्का
  • पिता का नाम वदिस्वा स्कोलोडोवस्का
  • व्यवसाय वैज्ञानिक
  • जन्म 7 नवंबर 1867
  • जन्म स्थान पोलैंड
  • मैडम क्यूरी की प्रसिद्धि रेडियो एक्टिविटी के क्षेत्र में
  • मृत्यु 4 जुलाई 1934 फ्रांस में
  • मैडम क्यूरी की मृत्यु 4 जुलाई 1934 मैं मात्र 67 वर्ष की आयु में

2. मैडम क्यूरी की प्रारंभिक शिक्षा

मैडम क्यूरी ने 16 वर्ष की आयु में 12वीं की परीक्षा प्रथम स्थान में पास की थी। इसीलिए उनको स्वर्ण पदक दिया गया था। Wing Commander Abhinandan एवं उनकी पत्नी का भारतीय सेना में प्रवेश

पढ़ने में होशियार होने के कारण स्कूल में सभी शिक्षक शिक्षिकाएं मैडम क्यूरी को बहुत पसंद करते थे। वह सब की प्रिय छात्र थी

मैडम क्यूरी ने अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए फ्रांस की यूनिवर्सिटी सोरबोन में 24 वर्ष की उम्र 1891 मै प्रवेश लिया।

प्रवेश लेने के बाद मैडम क्यूरी ने बहुत मेहनत की और दिल लगाकर पढ़ाई करते हुए उन्होंने फिजिक्स की डिग्री प्राप्त की।

फ्रांस में आने के दौरान ही उन्होंने अपना नाम मान्या से मैडम क्यूरी किया था

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3. मैडम क्यूरी की लव लाइफ

मैडम क्यूरी की मुलाकात उन्हीं के हम उम्र पियरे क्यूरी से 1894 मैं हुई जो एक वैज्ञानिक थे। मुलाकाते बढ़ती गई ।

जिसके कारण दोनों में प्यार हो गया और उसके बाद जल्द ही दोनों ने शादी कर ली।

उनकी पहेली संतान 1897 मैं हुई जिसका नाम आईरीन क्यूरी रखा तथा दूसरी संतान का जन्म 1904 मैं जिसका नाम ईव क्यूरी रखा।

मैडम क्यूरी ने अपने शोध कार्य के साथ परिवार की जिम्मेदारी भी बहुत अच्छे से निभाई लोग अक्सर उनसे पूछते थे कि आप परिवार और आपका काम कैसे संभालती है।

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उनका एक सुंदर से जवाब होता है। आसान नहीं है पर हो जाता है।

4. वैज्ञानिक बनने तक Madame curie का सुनहरा सफर

मैडम क्यूरी को जब पता चला कि आने वाले कल की आवश्यकता इस पर कई बड़े वैज्ञानिक काम कर रहे हैं तो उन्होंने भी इस क्षेत्र में आगे बढ़कर काम किया।

उन्होंने

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X-Rays के बारे में जानने की कोशिश की

उनकी इस क्षेत्र में रुचि बढ़ती गई

उन्होंने इस क्षेत्र में कई

Experiments शुरू किए

सफलता भी प्राप्त की।

एक दिन अपने Experiments के दौरान ही देखा कि

पिचब्लैंड पदार्थ जो यूरेनियम का एक ऑक्साइड है।

उसमें से कुछ तरंगे निकल रही हैं उन्हें शुरुआत में लगा कि

यूरेनियम से निकल रही होगी।

लेकिन जब उन्होंने तरंगों की मात्रा अधिक मात्रा में देखी तो उनको यह सोचने में देर नहीं लगी कि यहां कोई ऐसा तत्व निकल रहा है।

जिसकी अभी तक खोज नहीं हुई और इसी प्रकार उन्होंने एक के बाद एक

दो नए तत्वों की खोज की

5. खोजे गए दो नए तत्वों के नाम

Madame curie एवं उनके पति पियरे क्यूरी ने पिचब्लेंड से निकलने वाली जो तरंगे थी । उनका अच्छे से अध्ययन करने के बाद इस नतीजे पर पहुंचे कि उनके द्वारा जो तत्वों की खोज की गई है वहां Sandeep Maheshwari की सफलता का राज

आवर्त सारणी (periodic table) के लिए नए तत्व साबित होंगे।

मैडम क्यूरी द्वारा खोजा गया तत्व का परीक्षण करने के लिए उन्होंने इसे अपने शरीर के अंग पर डालकर परीक्षण किया।

आमतौर पर परीक्षण करने के लिए जानवरों का उपयोग किया जाता है।

लेकिन मैडम क्यूरी ने इसे अपने हाथ पर डाला जो बुरी तरह से जल गया था।

उसके बाद उन्हें पूरी तरह से रिकवर होने के लिए 2 माह का समय लगा।

लेकिन इस प्रकार स्वयं के ऊपर किए गए प्रयोग से उन्होंने यह बात सिद्ध किया कि

अगर शरीर का कोई हिस्सा विकृत या बढ़ जाए तो उसे नष्ट करके शरीर से अलग किया जा सकता है और पूरे शरीर को बचाया जा सकता है।

इसी पद्धति से रेडियोथैरेपी का जन्म हुआ

Madame curie द्वारा खोजे गए दो नया तत्वों के नाम उन्होंने शुरुआत में अपने देश Poland को समर्पित करते हुए पहले उनके नाम

polonium और दूसरे का नाम radium रखा।

क्योंकि यहां वास्तव में यहां बहुत ही शक्तिशाली तरंगे निकालते थे।

जिन्हें हम रेडिएशन के नाम से जानते हैं।

मैडम क्यूरी के द्वारा विज्ञान को एक नई दिशा दी जिसके द्वारा आज कई आश्चर्यचकित परिणाम हमें देखने को मिल रहे हैं।

मैडम क्यूरी द्वारा खोजा गया तत्वों से आज चिकित्सा से लेकर विज्ञान तक उसका कोई तोड़ नहीं है।

6. मैडम क्यूरी का प्रारंभिक जीवन

किसी भी सफल व्यक्ति की हमें सफलता दिखती है।

लेकिन हम उसकी वहां मेहनत नहीं देख पाते जो उसने दिन रात एक करके इस मुकाम को हासिल किया है।

इस मुकाम को प्राप्त करने में उसने कितनी कठिनाइयों का सामना किया है। इसी प्रकार मैडम क्यूरी ने भी बहुत मुश्किल से अपने दिन निकाले बहुत ही

गरीबी में अपना जीवन बिताया

उनकी सफलता से पहले की लाइफ के बारे में संक्षिप्त संदर्भ

मैडम क्यूरी का जब बचपन था तो उनका सब कुछ अच्छे से चल रहा था ।

लेकिन जैसे ही वहां थोड़ी बड़ी हुई उन्होंने अपने परिवार को बिखरते हुए अपनी आंखों से देखा

उनका भी सामना गरीबी से हुआ।

जब पोलैंड के ऊपर रूस का कब्जा था । लोगों को रूस से यह आदेश दिया गया था कि पोलैंड निवासी अपनी मातृभाषा पोलिश मैं अपनी शिक्षा ग्रहण नहीं कर सकते हैं,

उन्हें अपनी मातृभाषा में पढ़ने की आजादी नहीं थी ।

मैडम क्यूरी के पिता रूस की इस दमनकारी नीतियों के खिलाफ थे ।

जिस कारण से उन्हें वेतन नहींं दिया जाता था ।

अंत में उनको नौकरी से निकाल दिया गया था

मैडम क्यूरी के सामने ही उनकी बड़ी बहन टाइफस नामक बीमारी से ग्रस्त थी ।

जिसकी मृत्यु हो गई थी ।

तब वह मात्र 10 साल की थी ।

इस सदमे से उभरती उससे पहले ही उनकी माता जी का तपेदिक नामक बीमारी की वजह से देहांत हो गया ।

यह समय उनके लिए बहुत ही कठिन होता जा रहा था ।

इन्हीं हालातों से गुजरते हुए उन्होंने अपने आप को संभाला और अपनी पढ़ाई को जारी रखा । क्योंकि उनके मन में कुछ बढ़ा करने की चिंगारी जन्म ले रही थी ।

7. बड़ी बहन को डॉक्टर बनाने में Madame curie सहयोग

मैडम क्यूरी ने अपने हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की और किसी यूनिवर्सिटी में Admission( प्रवेश) लेना चाहते थी ।

लेकिन उस समय पोलैंड में कोई ऐसी यूनिवर्सिटी नहीं थी , जो महिलाओं को प्रवेश दे सके

फ्रांस की राजधानी पेरिस में सोरबेन नाम की यूनिवर्सिटी थी । जो महिलाओं को प्रवेश देती थी

मैडम क्यूरी की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नही थी कि वहां यूनिवर्सिटी में

अपना प्रवेश ले सके ।

इसी स्थिति को देखते हैं मैडम क्यूरी फैसला लेती है, कि वहां अपनी बड़ी बहन ब्रोनिस्लावा को डॉक्टर की पढ़ाई पूरी करवाने के लिए फ्रांस भेजेगी ।

उसकी पढ़ाई का पूरा खर्च स्वयं पोलैंड में काम करके देगी ।

जब बड़ी बहन डॉक्टर बन जाएगी तब वहां अपनी पढ़ाई पूरी करेंगी और उसकी पढ़ाई का खर्च बहन से लेगी ।

मैडम क्यूरी की बड़ी बहन को अपनी पूरी पढ़ाई करने में 6 वर्ष लग गए और इस दौरान

मैडम क्यूरी ने बच्चों को ट्यूशन पढ़ा कर एवं कई प्रकार के काम करके अपनी बहन की पढ़ाई में सहयोग किया

इन 6 सालों के दौरान मैडम क्यूरी ने अपनी पढ़ाई को जारी रखा और मैथ्स और फिजिक्स जो उनके पिता के पसंद के विषय थे ।

उसी में विशेष ज्ञान प्राप्त किया ।

वह खाली समय में इन्हीं विषयों से संबंधित कई किताबों को पढ़ लिया था ।

वह जानती थी कि एक दिन वह बहुत बड़ी वैज्ञानिक बनेगी ।

8. नोबेल पुरस्कार विजेता Madame curie

रेडिएशन के क्षेत्र में योगदान देने वाले देश के महान वैज्ञानिकों को 1903 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।

जिसमें मैडम क्यूरी एवं उनके पति पियरे के साथ-साथ उस दौर के वैज्ञानिक हेनरी बेक्रेरल को भी नोबेल पुरस्कार दिया गया ।

मैडम क्यूरी नोबेल पुरस्कार पाने वाली पहली महिला थी ।

polonium और radium की खोज के लिए 1911 में एक बार फिर मैडम क्यूरी को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

इस बार भी मैडम क्यूरी के पति को भी सम्मानित किया जाता लेकिन घोड़ा गाड़ी से गिरने से 19 अप्रैल 1906 में दुखद मृत्यु हो जाने के कारण नहीं दिया जा सका ।

मैडम क्यूरी अपने जीवन काल में दो बार नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाली दुनिया की प्रसिद्ध महिला बन गई

पहली बार उन्हें 1903 में भौतिकी और दूसरी बार 1911 में केमिस्ट्री के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था । Warren Buffett के निवेश टिप्स

रेडियो एक्टिविटी का उनके पास ज्ञान था इसलिए वहां काफी लोकप्रिय हो गई थी । इसी कारण से उनके पास देश विदेश से बड़े-बड़े वैज्ञानिक अध्ययन के लिए आते थे

9. मैडम क्यूरी का नोबेल पुरस्कार से पारिवारिक रिश्ता

कहने का तात्पर्य है, कि जिस तरह मैडम क्यूरी एवं उनके पति ने दो दो बार नोबेल पुरस्कार के विजेता बने उसी प्रकार उनकी दोनों बेटियां भी नोबेल पुरस्कार विजेता रही।

उनकी बड़ी बेटी आईरीन को वर्ष 1935 में रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया

उनकी छोटी बेटी ईव को 1965 में शांति के लिए नोबेल पुरस्कार से

सम्मानित किया गया ।

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10. मैडम क्यूरी अपने दयावान स्वभाव के कारण हमेशा चर्चा में

मैडम क्यूरी का स्वभाव बहुत ही सरल और दयावान था ।

वह हमेशा अपनी खोजों का श्रेय अपने देश की गरीब जनता को समर्पित करती थी ।

वहां सभी लोगों को फायदा पहुंचाना चाहती थी ।

नोबेल पुरस्कार से जो भी धन उनको प्राप्त हुआ उसे वहां सार्वजनिक रूप से

सार्वजनिक कामों में खर्च करती थी ।

उन्होंने 1914 के विश्व युद्ध में देश की पीड़ित जनता को काफी हद तक सहायता पहुंचाई कई निशुल्क एक्सरे सेंटर खोलें जिनमें निशुल्क रूप से गरीबों की जांच की जाती थी ।

उन्होंने अनेक चलित अस्पताल भी खुलवाए जिसमे लाखों लोगों की उन्होंने सेवा की उनको हमेशा प्यार किया । https://www.biography.com/scientist/marie-curie

अपार धन होने के बाद भी उनको कभी भी इस बात का अभिमान नहीं हुआ ।

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11. अनमोल विचार Madame curie

दुनिया मैं ऐसी कोई भी चीज नहीं है जिससे डरने की जरूरत हो बस . उसे आप को समझने की जरूरत है . मैडम क्यूरी

  • मैडम क्यूरी का कहना है कि संघर्ष की कोख से सफलता जन्म लेती हैं।
  • किसी भी काम को डर के साथ नहीं किया जा सकता क्योंकि आप ही जानते हैं कि वहां सही है और यही उसकी सफलता के लिए काफी है।
  • सफलता प्राप्त करने का रास्ता आसान नहीं होता है। और ना ही इसमें कोई शॉर्टकट होता है।
  • संसार आपकी सफलता को नमस्कार करता है ना कि आपको यहां हमेशा याद रखें।
  • सफलता प्राप्त करने के लिए अंतिम सांस तक संघर्ष करें सफलता आपके कदम चूमेगी।
  • जहां संघर्ष है वही सफलता है।
  • उन लोगों का आचरण करना चाहिए जो अपने काम को ही सुंदर समझते हैं।
  • किसी भी वस्तु को परखने के लिए आपके पास पर्याप्त समय होना चाहिए।
  • सफलता दर्द की कोख से जन्म लेती है। यह हमें कभी नहीं भूलना चाहिए।
  • फ्रांस की सोरबन यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी की वहीं पर प्रोफेसर का पद भी प्राप्त किया यह उनकी सफलता को दर्शाता है।
  • मैडम क्यूरी का परिवार दुनिया का इकलौता परिवार ऐसा है जिसके सभी सदस्यों को नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ
  • वक्त बर्बाद करने के बजाय उस समय का उपयोग कीजिए हर समय कुछ ना कुछ कीजिए यूं ही अपने जीवन को सोते हुए ना निकलने दें।

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12. मैडम क्यूरी की मृत्यु उनकी खोज एक कारण

मैडम क्यूरी ने भले ही रेडियो तरंगों की खोज की थी ।

जिससे कि कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी को हल करने में सहायता मिलती है ।

लेकिन यहां भी एक सत्य है कि

उनके द्वारा खोजी गई तरंगों से ही उनकी मृत्यु होना माना गया ।

उनकी मृत्यु का एक कारण यह भी माना गया है कि

ज्यादा समय तक कोई व्यक्ति इन तरंगों के बीच रहता है ।

इस रेडिएशन के संपर्क में आता है,

तो से कैंसर होने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है।

इसीलिए मैडम क्यूरी की मृत्यु 4 जुलाई 1934 मैं मात्र 67 वर्ष की आयु में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया ।

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